हमें तो अब के भी आई न रास तन्हाई तुम्हीं बताओ कि है किस के पास तन्हाई उसे भी अब के बहुत रंज-ए-नारसाई है खड़ी है शहर की सरहद के पास तन्हाई इसी लिए तो न सहरा में है न बस्ती में कि हो न जाए कहीं बे-लिबास तन्हाई तवील हिज्र ने दोनों को यूँ ख़राब किया कि उस के पास न अब मेरे पास तन्हाई अँधेरी रात में आँखों में ख़्वाब की सूरत कभी कभी नज़र आई उदास तन्हाई