हमें तो इश्क़ में सब काम अच्छे लग रहे थे यहाँ तक कि सभी इल्ज़ाम अच्छे लग रहे थे सुनाए जा रहे थे इश्क़-ए-शोरीदा के क़िस्से हमें क़िस्से नहीं अंजाम अच्छे लग रहे थे यक़ीं की मंज़िलों से गो कि आगे जा रहे थे पस-ए-मंज़र मगर औहाम अच्छे लग रहे थे शब-ए-तारीक में शब-ताब अंजुम आसमाँ पे ये दोनों बरसर-ए-पैग़ाम अच्छे लग रहे थे निको-कारी का दुश्नामी सिला है क्या गिला है कि हम बदनाम हैं बदनाम अच्छे लग रहे थे रक़ीबाँ ख़ुश थे शे'र-ए-शोख़ के तेवर पे हम भी कि उन शे'रों के सब ईहाम अच्छे लग रहे थे मियाँ मजनूँ भी गुम थे नज्द की उर्यानियों में पे हम सहरा में बा-एहराम अच्छे लग रहे थे नमाज़-ए-इश्क़ अदा करने की कोई जा नहीं थी सो ये सज्दे हमें हर-गाम अच्छे लग रहे थे वो वसलत भी कोई वसलत कि जाँ आसूदा-ख़ातिर फ़िराक़ों में 'अनीस'-ए-ख़ाम अच्छे लग रहे थे