हमेशा एक सी रफ़्तार हो ऐसा नहीं होता मिरे ही हाथ में पतवार हो ऐसा नहीं होता मैं सारे पेच-ओ-ख़म को रफ़्ता रफ़्ता जान जाऊँगा कोई रस्ता सदा दुश्वार हो ऐसा नहीं होता समाजी ताने-बाने में जुदा मंसब जुदा क़द्रें सभी का एक ही मेआ'र हो ऐसा नहीं होता चलो आओ मिलें बैठें करें कुछ प्यार की बातें हमेशा तल्ख़ ही गुफ़्तार हो ऐसा नहीं होता तुम अपने ख़ंजर-ओ-नश्तर लिए तय्यार बैठे हो अभी ही सीना भी तय्यार हो ऐसा नहीं होता हो वज़्अ मुख़्तलिफ़ जब टोपियों की 'नज़्र' तो सुनिए वो मज्लिस ख़त्म बे-तकरार हो ऐसा नहीं होता