हंगामा-ए-हयात से जाँ-बर न हो सका ये दिल अजीब दिल है कि पत्थर न हो सका मेरा लहू भी पी के न दुनिया जवाँ हुई क़ीमत मिरे जुनूँ की मिरा सर न हो सका तेरी गली से छुट के न जा-ए-अमाँ मिली अब के तो मेरा घर भी मिरा घर न हो सका तेरे न हो सके तो किसी के न हो सके ये कारोबार-ए-शौक़ मुकर्रर न हो सका यूँ जी बहल गया है तिरी याद से मगर तेरा ख़याल तेरे बराबर न हो सका गुज़री जो शब तो बुझ गए अपने चराग़ भी आई सहर तो फिर कोई रहबर न हो सका