हंगामा-ए-ख़ुदी से तू बे-नियाज़ हो जा गुम हो के बे-ख़ुदी में आगाह-ए-राज़ हो जा हद भी तो चाहिए कुछ बे-ए'तिनाइयों की ग़ारत-गर-ए-तहम्मुल तस्कीं-नवाज़ हो जा ऐ सरमदी तराने हर शय में सोज़ भर दे ये किस ने कह दिया है पाबंद-ए-साज़ हो जा ग़ैरत की चिलमनों से आवाज़ आ रही है महव-ए-नियाज़-मंदी आ बे-नियाज़ हो जा आ मिल के फिर बनाएँ मय-ख़ाना-ए-मोहब्बत मैं जुरआ-कश बनूँ तू पैमाना-साज़ हो जा सीने में सोज़ बन कर कब तक छुपा रहेगा उनवान-ए-राज़दारी तफ़्सील-ए-राज़ हो जा अब सो चुकी उम्मीदें अब थक चुकीं निगाहें जान-ए-नियाज़-मंदी मसरूफ़-ए-नाज़ हो जा सोज़-ए-नज़र से छल्कें नग़्मात-ए-राज़-ए-हस्ती ऐ उक़्दा-ए-तग़ाफ़ुल रूदाद-ए-नाज़ हो जा 'एहसान' काश उट्ठें ये रंग-ओ-बू के पर्दे ऐ महफ़िल-ए-हक़ीक़त बज़्म-ए-मजाज़ हो जा