हँसने वाले अब एक काम करें जश्न-ए-गिर्या का एहतिमाम करें हम भी कर लें जो रौशनी घर में फिर अँधेरे कहाँ क़याम करें मुझ को महरूमी-ए-नज़्ज़ारा क़ुबूल आप जल्वे न अपने आम करें इक गुज़ारिश है हज़रत-ए-नासेह आप अब और कोई काम करें आ चलें उस के दर पे अब ऐ दिल ज़िंदगी का सफ़र तमाम करें हाथ उठता नहीं है दिल से 'ख़ुमार' हम उन्हें किस तरह सलाम करें