हर बशर का मक़ाम लिक्खा है सब का बा-ज़र्फ़ काम लिक्खा है मेरे लिक्खे पे हक़ किसी का नहीं जो लिखा तेरे नाम लिक्खा है हम से लिखवा रहा है किस का जुनूँ कौन है किस का काम लिक्खा है चीर कर देख ले मिरा सीना इस में तेरा ही नाम लिक्खा है सोच कर जब कभी लिखा मैं ने जो भी लिक्खा है ख़ाम लिक्खा है लिखने वालों का क्या कहूँ हमदम सुब्ह लिक्खा है शाम लिक्खा है ख़ास लिखते हैं लिखने वाले सब जो लिखा हम ने आम लिक्खा है पानियों और हवा पे लिख न सके हम ने धरती पे नाम लिक्खा है जिस को जागीर अपनी वो समझे उस पे मेरा भी नाम लिक्खा है ज़हर ही ज़हर अपने हिस्से में उन की क़िस्मत में जाम लिक्खा है उस की रहमत का क्या गिला 'हैरत' दर्द-ओ-ग़म मेरे नाम लिक्खा है