हर दिल में बेबसी की चुभन छोड़ जाऊँगा जब भी तुझे ऐ अर्ज़-ए-वतन छोड़ जाऊँगा हासिल तमाम उम्र का धन छोड़ जाऊँगा या'नी ज़बान-ए-गंग-ओ-जमन छोड़ जाऊँगा मग़्मूम किस लिए है अरी सर-फिरी ख़िज़ाँ मैं तेरे नाम अपना चमन छोड़ जाऊँगा काँटे करेंगे याद मिरी चाक-दामनी फूलों को महव-ए-रंज-ओ-मेहन छोड़ जाऊँगा हर इक ख़ुशी करेगी मुझे दर-ब-दर तलाश हर इक जबीन-ए-ग़म पे शिकन छोड़ जाऊँगा जी जी के सब ही मरते हैं लेकिन मैं ऐ 'अमीन' मर मर के ज़िंदा रहने का फ़न छोड़ जाऊँगा