हर दुआ गर क़ुबूल हो जाए ज़िंदगी ही फ़ुज़ूल हो जाए ये दुआ है कि अपनी हस्ती भी उन के क़दमों की धूल हो जाए रश्क आता है उस की क़िस्मत पे जिस की तौबा क़ुबूल हो जाए भूल जाऊँ इसे में पल-भर को काश मुझ से ये भूल हो जाए किस तरह तुम चलोगे ऐ 'अरमान' गर ये दुनिया बबूल हो जाए