हर एक जल्वा-ए-रंगीं मिरी निगाह में है ग़म-ए-फ़िराक़ की दुनिया दिल-ए-तबाह में है किसी की याद करम उफ़ अरे मआज़-अल्लाह तबाह हो के भी ज़ालिम दिल-ए-तबाह में है हज़ार पर्दों में ओ छुपने वाले ये सुन ले तिरा जमाल मिरे दामन-ए-निगाह में है जहाँ में मुझ से भी नाकाम-ए-आरज़ू कम हैं न रंग आह में है और न सोज़ आह में है