हर इक के तजरबे से मुख़्तलिफ़ है तजरबा मेरा न क्यूँ सब से अलग हो ज़िंदगी पर तब्सिरा मेरा नहीं मा'लूम कितनी मर्तबा मरना पड़ा मुझ को जिए जाना मिरा हर-हाल में है मो'जिज़ा मेरा मिरी हस्ती नहीं महदूद हरगिज़ चंद लम्हों तक अज़ल से ता-अबद जारी रहेगा सिलसिला मेरा ये मुझ से मशवरा क्यूँ है मिरी क़िस्मत के बारे में तुम्हारा फ़ैसला जो है वही है फ़ैसला मेरा 'मुनव्वर' पहले अपने ज़ौक़ पर तन्क़ीद फ़रमा लें मिरे अहबाब नाहक़ ले रहे हैं जाएज़ा मेरा