हर ग़म पे आज-कल है ख़ुशी का गुमाँ मुझे ले आई याद-ए-यार कहाँ से कहाँ मुझे मंज़ूर ज़ौक़-ए-दीद का हो इम्तिहाँ मुझे ये ताब ये मजाल ये ताक़त कहाँ मुझे यारब क़फ़स की ख़ैर कि देखा जो ख़्वाब भी आया है बिजलियों में नज़र आशियाँ मुझे आज़ादी-ए-ख़याल के वो रंग अब कहाँ था इब्तिदा में कुंज-ए-क़फ़स आशियाँ मुझे ज़ौक़-ए-तलब का राज़ यही ज़िंदगी यही हर कारवाँ है गर्द-ए-पस-ए-कारवाँ मुझे मैं जान-ए-रंग-ओ-बू हूँ मैं आराइश-ए-चमन तू क्या समझ रहा है मिरे बाग़बाँ मुझे तेवर निगाह-ए-नाज़ के कुछ दिन यही जो हैं यारा-ए-ज़ब्त-ए-राज़ 'जमाली' कहाँ मुझे