हर घड़ी इक नई मुसीबत है उन का आना भी क्या क़यामत है दिल है नाकामियों की लज़्ज़त है न तमन्ना है अब न हसरत है गाहे राहत गहे मुसीबत है हाए क्या चीज़ ये मोहब्बत है अर्ज़-ए-मतलब की उन से जुरअत है दिल-ए-नादाँ ये क्या क़यामत है ग़ैर पर भी वही है रंग-ए-सितम हाँ मुझे आप से शिकायत है बाज़ आओ भी इश्क़ से 'कैफ़ी' आफ़ियत बस इसी में हज़रत है