हर किसी कूँ गुज़र-ए-इश्क़ में आनाँ मुश्किल राह सीधी है वले राह कूँ पानाँ मुश्किल किस तरह कीजिए फ़िक्र-ए-शरर-अफ़्शानी-ए-अश्क जब कि पानी में लगी आग बुझानाँ मुश्किल ख़ूब लगती है तिरे चीरा-ए-नुकदार की सज जिस तरह दिल में चुभी है सो बतानाँ मुश्किल फूल मेरे कूँ अगर फूल कहूँ भूले सीं फूल कूँ फूल के फूलों में समानाँ मुश्किल आतिशीं-रू सीं निहाँ क्यूँकि रखूँ सोज़-ए-जिगर जान जाता है 'सिराज' अब तो छुपानाँ मुश्किल