अपना मिलन किसी की दिली बद-दुआ' भी है या'नी हमारा वस्ल हमारी सज़ा भी है अल-मुख़्तसर तुम्हारी महक ओढ़ते हुए एहसास हो गया कि उसे फैलना भी है इस पर ठहर सके तो ठहर चल सके तो चल ये दिल क़याम-गाह भी है रास्ता भी है अच्छा तिरी नज़र में बहुत मुख़्तलिफ़ हूँ मैं या'नी तिरी नज़र में कोई दूसरा भी है सारी हिसों की डोर समाअ'त को सौंप कर उस दिल पे कान रख कि ख़ुदा बोलता भी है तुझ से ख़ुशी ग़मी का तफ़रक़े मिटा कि तू इक ख़ुश-गवार याद भी है सानेहा भी है हर एक दास्तान के हर एक मोड़ पर 'हारिस' ये सोचना कभी ऐसा हुआ भी है