शो'ला ही सही आग लगाने के लिए आ फिर नूर के मंज़र को दिखाने के लिए आ ये किस ने कहा है मिरी तक़दीर बना दे आ अपने ही हाथों से मिटाने के लिए आ ऐ दोस्त मुझे गर्दिश-ए-हालात ने घेरा तू ज़ुल्फ़ की कमली में छुपाने के लिए आ दीवार है दुनिया इसे राहों से हटा दे हर रस्म-ए-मोहब्बत को मिटाने के लिए आ मतलब तिरी आमद से है दरमाँ से नहीं है 'हसरत' की क़सम दिल ही दुखाने के लिए आ