हसरत-ए-दिल को मार कर देखा बोझ सारा उतार कर देखा वक़्त मुमकिन कहाँ गुज़ारे तो जैसे मैं ने गुज़ार कर देखा कोई मेरी मदद को आया नहीं मैं ने सब को पुकार कर देखा दाग़ चेहरे पे रक़्स करते रहे आइने को सँवार कर देखा वस्ल ता'बीर हो नहीं सकता हिज्र का ख़्वाब मार कर देखा तेरी ख़ातिर नहीं जो करना था देख ले वो भी यार कर देखा वक़्त मुमकिन कहाँ गुज़ारे तो जैसे मैं ने गुज़ार कर देखा तिश्नगी कम न हो सकी 'कौसर' एक दरिया को पार कर देखा