हस्ती का सुराग़ लग चुका है इक और दिमाग़ लग चुका है नफ़रत का बीज बोने वालो देखो यहाँ बाग़ लग चुका है जो देखे वो देखे मस्ख़ चेहरा आईने पे दाग़ लग चुका है अब ढूँडो निशान तीरगी का अब हाथ चराग़ लग चुका है होंटों पे है सब्त अक्स-ए-क़ातिल आँखों से अयाग़ लग चुका है पास-ए-नामूस करते करते नामूस पे दाग़ लग चुका है अब जीना ज़ियाँ है ज़िंदगी का दिल सू-ए-फ़राग़ लग चुका है