हस्ती को तिरी बस है मियाँ गुल की इशारत काफ़ी है मिरे नाले को बुलबुल की इशारत फ़तवा तलब ऐ यार न क़ाज़ी से करूँ मैं तौबा-शिकनी को है मिरी मुल की इशारत मिल बैठ मेरी आँखों में है साअत-ए-नेक आज ये चश्म तराज़ू हैं तिरे तुल की इशारत है बाइस-ए-जमइय्यत-ए-दिल एक जहाँ की ऐ शोख़ परेशानी-ए-काकुल की इशारत तक़्वा के नहीं बार से क़द ख़म तिरा ऐ शैख़ इक ख़ल्क़ में मशहूर है इस पुल की इशारत याद आए तिरी ज़ुल्फ़ न मुझ को जो चमन में दे ताब मिरे दिल को न सुम्बुल की इशारत उश्शाक़ को तुझ चश्म के हाजत नहीं मय की बेहोश करे 'सौदा' को क़ुलक़ुल की इशारत