हौसले क्या उस बुत-ए-बे-जान के सारे झगड़े हैं दिल-ए-नादान के नाज़ है किस बात पर इंसान को किस तरह चलता है सीना तान के खेत जल-थल कर दिए सैलाब ने मर गए अरमान सब दहक़ान के दे रहे हैं मात अब शैतान को कारनामे हज़रत-ए-इंसान के छुप-छुपा के वार हम करते नहीं हम खिलाड़ी हैं खुले मैदान के जब से बदली हैं निगाहें यार ने पड़ गए हैं लाले 'अफ़ज़ल' जान के