हवा-ए-दौर-ए-मय-ए-ख़ुश-गवार राह में है ख़िज़ाँ चमन से है जाती बहार राह में है गदा-नवाज़ कोई शहसवार राह में है बुलंद आज निहायत ग़ुबार राह में है अदम के कूच की लाज़िम है फ़िक्र हस्ती में न कोई शहर न कोई दयार राह में है न बदरक़ा है न कोई रफ़ीक़ साथ अपने फ़क़त इनायत-ए-परवर-दिगार राह में है सफ़र है शर्त मुसाफ़िर-नवाज़ बहुतेरे हज़ार-हा शजर-ए-साया-दार राह में है मक़ाम तक भी हम अपने पहुँच ही जाएँगे ख़ुदा तो दोस्त है दुश्मन हज़ार राह में है थकें जो पाँव तो चल सर के बल न ठहर 'आतिश' गुल-ए-मुराद है मंज़िल में ख़ार राह में है