हयात मौत है गोया उस आदमी के लिए जो सारी उम्र तरसता रहा ख़ुशी के लिए वो रिंद रिंद नहीं पी के जो बहक जाए कि ज़र्फ़ की भी ज़रूरत है मय-कशी के लिए ग़म-ए-फ़िराक़ में जैसी हमारी हालत है कोई भी इतना परेशाँ न हो किसी के लिए किया है दोस्त ने आने का वा'दा आज की शब चराग़ दिल का जलाना है रौशनी के लिए 'मुनीर' ग़म का मुदावा करो न भूल के तुम वजूद-ए-ग़म भी ज़रूरी है ज़िंदगी के लिए