हज़रत-ए-मीर के शागिर्द हैं रूहानी हम शेर तख़्लीक़ किया करते हैं ला-फ़ानी हम हम जो दरिया के किनारों पे रहा करते हैं इश्क़ की मौज में बहते हैं ब-आसानी हम तेरी शादाबी-ए-ख़ातिर की दुआ करते हैं जब भी आँचल को तिरे देखते हैं धानी हम या'नी उस आदमी से कोई हमें मतलब है बातें हर एक से करते नहीं ला या'नी हम वक़्त के साथ हर इक चीज़ बदल जाती है पहले कहते थे सरायकी को मुल्तानी हम ऐसा लगता है कि सब अपने सिवा जाहिल हैं बात जब जान लिया करते हैं अनजानी हम हम तिरे बाल बिखेरेंगे खुले साहिल पर तेरे हिस्से की तुझे देंगे परेशानी हम ज़िंदगी ज़ख़्म तो देगी कभी यारों को भी मुट्ठियाँ भर के करेंगे नमक-अफ़्शानी हम हम से लड़की कोई इठला के जो बातें कर ले उसे गुड़िया ही समझ लेते हैं जापानी हम देख आशिक़ हैं तिरे बाप के नौकर तो नहीं जो तिरे हुस्न की करते रहें दरबानी हम सब सितारों से नज़र आज बचा कर 'यावर' चूम आए हैं कोई चाँद सी पेशानी हम