हिजाब वालों से वो बे-हिजाब हो न सका वो सामने था मगर बे-नक़ाब हो न सका वजूद-ए-ख़ाक का इंसाँ ख़िताब हो न सका ये ज़र्रा ग़ैर-ए-करम आफ़्ताब हो न सका करम वो तूर पे इक बे-नियाज़-ए-जल्वा पर वो बे-नियाज़ी थी जिस का जवाब हो न सका उठा के पर्दा छुपा कसरत-ए-तजल्ली में वो बे-नक़ाब हुआ बे-नक़ाब हो न सका तमाम उम्र रहे देखते हयात के ख़्वाब हमारी आँखों में ये ख़्वाब ख़्वाब हो न सका रही फ़रेब-ए-तसव्वुर ये रफ़तनी दुनिया सराब जैसे कभी जू-ए-आब हो न सका ज़मीर ज़ाहिर-ओ-बातिन से हो गया आगाह ख़राब बादा-ए-इरफ़ाँ ख़राब हो न सका मिरे करीम ने बख़्शा इसी बहाने से मिरे गुनाहों का जब कुछ हिसाब हो न सका अभी कमी है तिरे ज़ौक़-ए-इश्क़ में 'ऐमन' लहू हुआ तिरा आँसू शराब हो न सका