हिज्र का ग़म भी नहीं वस्ल की पर्वा भी नहीं दिल भी पहलू में नहीं दिल की तमन्ना भी नहीं नहीं दरकार नहीं मुझ को ग़म-ए-चारा-ए-ग़म हाँ मैं दीवाना हूँ बे-शक मगर इतना भी नहीं तुम न शरमाओ न घबराओ मैं कहता भी हूँ कुछ ज़िक्र-ए-वा'दा भी नहीं ख़्वाहिश-ए-ईफ़ा भी नहीं जोशिश-ए-गिर्या इक ए'जाज़ है वर्ना दिल-ए-ज़ार आख़िर इक बूँद है बादल नहीं दरिया भी नहीं बे-ख़ुदी हश्र में क्या याद दिलाऊँगा उसे ख़ुद मुझे याद अब उस शोख़ का वादा भी नहीं वक़्त पुर्सिश है अभी फ़ुर्सत-ए-एहसाँ है अभी आइए मैं अभी ज़िंदा भी हूँ अच्छा भी नहीं अब कहाँ लज़्ज़त-ए-एहसास-ए-तरक़्क़ी 'मानी' यास में जज़र-ओ-मद-ए-दर्द-ए-तमन्ना भी नहीं