हिज्र के कुछ हालात तो सुन लो रूदाद-ए-आफ़ात तो सुन लो आए हो तो रुक कर जाना बैठ भी जाओ बात तो सुन लो कैसे गुज़ारी कैसे गुज़री हिज्र की हम ने रात तो सुन लो तोड़ भी दो अब ये ख़ामोशी मान भी जाओ बात तो सुन लो दोनों जहाँ से हूँ बेगाना उन के एहसानात तो सुन लो नाज़िश-ए-गुलशन नाज़-ए-बहाराँ कम से कम इक बात तो सुन लो जल्वा-नुमा वो आज हैं 'पैकाँ' कैसी है ये रात तो सुन लो