हिज्र में भी ये मिरी साँस अगर बाक़ी है इस का मतलब है मोहब्बत में असर बाक़ी है छोड़ ये बात मिले ज़ख़्म कहाँ से तुझ को ज़िंदगी इतना बता कितना सफ़र बाक़ी है तुम सितमगर हो न घबराओ मिरी हालत पर ज़ख़्म सहने का अभी मुझ में हुनर बाक़ी है हिज्र की आग में जलने से नहीं डरती मैं इश्क़ मुझ में अभी बे-ख़ौफ़-ओ-ख़तर बाक़ी है मेरे तिनके भी हुए राख तो क्या हर्ज भला आतिश-ए-इश्क़ बता कितना ये घर बाक़ी है साँस लेना ही तो 'शाहीन' नहीं है जीवन ढूँड कर लाओ मिरी रूह अगर बाक़ी है