बदन में आग

By January 1, 2017
बदन में आग...

बदन में आग सी चेहरा गुलाब जैसा है



के ज़हरे-ग़म का नशा भी शराब जैसा है


कहाँ वो कुर्ब के अब तो ये हाल है जैसे



तेरे फिराक का आलम भी ख्वाब जैसा है




इसे कभी कोई देखे कोई पढे तो सही

दिल आइना है तो चेहरा किताब जैसा है




'फ़राज़' संगे-मलामत से ज़ख्म-ज़ख्म सही

हमें अज़ीज़ है


खानाखाराब
जैसा है।
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