हो गए अम्बर-फ़शाँ दोनों-जहाँ मेरे लिए मुस्कुराया गुलशन-ए-कौन-ओ-मकाँ मेरे लिए क्या हुआ मैं ने जो गाए नग़्मा-ए-दार-ओ-रसन तुम ने ख़ुद छेड़ था साज़-ए-इम्तिहाँ मेरे लिए आँख भर आई गुलों के चाक दामाँ देख कर नश्तर-ए-ग़म है चमन की दास्ताँ मेरे लिए ये समझ कर अपनी बर्बादी पर हँसती हूँ मुदाम तेरी दुनिया में नहीं शायद अमाँ मेरे लिए हम-कनार-ए-जल्वा-ए-यज़्दाँ है मेरा दिल 'कमाल' कैफ़-ज़ा हैं रात की तन्हाइयाँ मेरे लिए