होती है आज अहल-ए-क़फ़स में चमन की बात

होती है आज अहल-ए-क़फ़स में चमन की बात
ग़ुर्बत में कर रहे हैं मुसाफ़िर वतन की बात

आता है मुझ को इक दिल-ए-मरहूम का ख़याल
करता है जब कोई किसी पैमाँ-शिकन की बात

डूबी हुई है नश्शा-ओ-निकहत में चाँदनी
ये रात और शाहिद-ए-गुल-पैरहन की बात

अहल-ए-जुनूँ का क़िस्सा-ए-मेराज-ए-इश्क़ है
मशहूर है जहाँ में जो दार-ओ-रसन की बात

वीराँ-नसीबयों को छुपाने के वास्ते
करता हूँ मैं भी लोगों में मिल कर चमन की बात

ये भी है उन की शोख़-मिज़ाजी न पूछिए
कहते हैं अर्ज़-ए-शौक़ को दीवाना-पन की बात

अर्बाब-ए-शौक़ के लिए दर्स-ए-हयात है
ये पुख़्तगी-ए-हौसला-ए-कोहकन की बात

जलते हैं दाग़ दिल के तो होती है रौशनी
क्या गुल खिला गई किसी शो'ला-बदन की बात

ये शाम ये सुकूत ये बे-कैफ़ ज़िंदगी
दिल को मसल रही है तिरी अंजुमन की बात

नज़रों में झूमती है बहार-ए-जमाल-ए-यार
होंटों को चूमती है गुल-ओ-नस्तरन की बात

सुलझा रहा हूँ ज़ुल्फ़-ए-उरूस-ए-जुनूँ को मैं
ऐ काश कोई छेड़े न दार-ओ-रसन की बात

मिस्ल-ए-नसीम शोहरा-ए-हुस्न-ए-बुताँ के साथ
पहुँची है दूर-दूर तक अर्बाब-ए-फ़न की बात

बाद-ए-सुमूम करती है ग़ुंचों को मुज़्महिल
दिल को मलूल करती है रंज-ओ-मेहन की बात

'नासिर' इसी में फ़न की तरक़्क़ी का राज़ है
अहल-ए-नज़र करें न मज़ाक़-ए-कुहन की बात


Don't have an account? Sign up

Forgot your password?

Error message here!

Error message here!

Hide Error message here!

Error message here!

OR
OR

Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link to create a new password.

Error message here!

Back to log-in

Close