हुआ हूँ इन दिनों माइल किसी का न था मैं इस क़दर घाइल किसी का दिवाने दिल कूँ समझाता हूँ लेकिन कहाँ लग होए कोई हाइल किसी का हुआ है दिल-दही का तुम पे तावाँ नहीं आसान लेना दिल किसी का ख़म-ए-गेसू सीं अपने तू गिरह खोल खुले ता उक़्दा-ए-मुश्किल किसी का किया यक वार में कई दिल की फाँकें लगा है हात क्या कामिल किसी का गली में जिस की शोर-ए-करबला है सलोना शोख़ है क़ातिल किसी का कहो उस लाला-ए-गुलज़ार-ए-जाँ कूँ कभी तो देख दाग़-ए-दिल किसी का 'सिराज' अब सोज़-ए-दिल मेरा वो जाने जो है परवाना-ए-महफ़िल किसी का