हुआ कितना मुश्किल वफ़ादार होना कि पड़ता है उस में भी बस ख़्वार होना अचंभे से ख़ाली नहीं बात ये भी दिया जिस ने ग़म उस का ग़म-ख़्वार होना अजब दौर में साँस हम ले रहे हैं कि तकलीफ़ देता है बेदार होना क़यामत से कम तो नहीं मेरे दिल का ख़ुदा की क़सम तुझ से बेज़ार होना निभाने का यारा नहीं है तो सुन लो किसी का तुम अब न ऐ यार होना तुझे उस की ताक़त का अंदाज़ा कब है क़लम ने भी सीखा है तलवार होना 'ज़ोहैब' इस लिए काम करता हूँ हर पल फ़राग़त का मतलब है बे-कार होना