हुदूद-ए-जाँ में हद-ए-ना-रसा से आया हूँ मैं अपने आप में ला-इंतिहा से आया हूँ चमक रही है जबीं पर सफ़र की धूल अभी ज़मीं की धुँद में रौशन फ़ज़ा से आया हूँ मैं किस की आँख में ताबीर की तरह जागूँ सुनहरा ख़्वाब हूँ और क़र्तबा से आया हूँ मिरी हथेली पे रौशन नजात का लम्हा मैं आज वादी-ए-हम्द-ओ-सना से आया हूँ मुझे सँभाल के रख शहर-ए-बे-लिहाज़ कि मैं किसी फ़क़ीर-मनश की दुआ से आया हूँ ज़वाल-ए-अहद तो शायद मुझे न पहचाने मैं इक हवाला हूँ और कर्बला से आया हूँ