हुए जनाब में अब तक न तेरे हम गुस्ताख़ ख़ुदा के वास्ते हम से न हो सनम गुस्ताख़ छुपाया राज़-ए-मोहब्बत को दिल में पर हैहात करे है नाम मिरा बद ये चश्म-ए-नम गुस्ताख़ जो आवे जी में सो कह ले मैं हूँ वो ऐ प्यारे रहूँ हज़ार हुज़ूरी में पर हूँ कम गुस्ताख़ कहा गले से लगा ले तू इल्तिफ़ात नहीं कहे है तिस पे मुझे क्यूँ तू दम-ब-दम गुस्ताख़ यही उम्मीद है 'चंदा' को ख़ूब-रूयों में रखे हमेशा तेरा या अली करम गुस्ताख़