हुजूम देख के रस्ता नहीं बदलते हम किसी के डर से तक़ाज़ा नहीं बदलते हम हज़ार ज़ेर-ए-क़दम रास्ता हो ख़ारों का जो चल पड़ें तो इरादा नहीं बदलते हम इसी लिए तो नहीं मो'तबर ज़माने में कि रंग-ए-सूरत-ए-दुनिया नहीं बदलते हम हवा को देख के 'जालिब' मिसाल-ए-हम-अस्राँ बजा ये ज़ोम हमारा नहीं बदलते हम