हम अगर दरिया की मौजों से रवानी माँगते फिर तो सूखे पेड़ भी बादल से पानी माँगते दिल में इक शो'ला है जिस को ज़िंदा रखने के लिए तुझ से या-रब हम हैं उम्र-ए-जावेदानी माँगते लोग नश्शे से अगर हुशियार हो पाते तो फिर ज़िंदगी का लम्हा लम्हा दास्तानी माँगते इस तरह घुट घुट के मरने से तो बेहतर था कि लोग एक ही दिन काश मर्ग-ए-ना-गहानी माँगते अपने घर आने की फ़ुर्सत भी तो यारो चाहिए ख़ुद से मिल पाते तो हम यादें पुरानी माँगते