हम तुझ से किस हवस की फ़लक जुस्तुजू करें दिल ही नहीं रहा है कि कुछ आरज़ू करें मिट जाएँ एक आन में कसरत-नुमाइयाँ हम आइने के सामने जब आ के हू करें तर-दामनी पे शैख़ हमारी न जाइयो दामन निचोड़ दें तो फ़रिश्ते वुज़ू करें सर-ता-क़दम ज़बान हैं जूँ शम्अ गो कि हम पर ये कहाँ मजाल जो कुछ गुफ़्तुगू करें हर-चंद आइना हूँ पर इतना हूँ ना-क़ुबूल मुँह फेर ले वो जिस के मुझे रू-ब-रू करें ने गुल को है सबात न हम को है ए'तिबार किस बात पर चमन हवस-ए-रंग-ओ-बू करें है अपनी ये सलाह कि सब ज़ाहिदान-ए-शहर ऐ 'दर्द' आ के बैअ'त-ए-दस्त-ए-सुबू करें