हम ने ख़ुद को कभी बेज़ार नहीं होने दिया अपनी उम्मीद को मिस्मार नहीं होने दिया अपने जज़्बात का इज़हार नहीं होने दिया ज़िंदगी को कभी अख़बार नहीं होने दिया मुश्किलें लाख मिलीं राह में हम को लेकिन अपने किरदार को लाचार नहीं होने दिया हम ने नुक़सान उठा कर भी निभाए रिश्ते प्यार के जज़्बे को ब्योपार नहीं होने दिया हम जो बिस्तर पे पड़े कौन सँभालेगा हमें बस इसी फ़िक्र ने बीमार नहीं होने दिया अपने बच्चों को सुहूलत की हर इक शय दे कर हम ने ख़ुद उन को समझदार नहीं होने दिया ख़्वाब देखा था कभी हम ने भी 'मधुमन' कोई पर मुक़द्दर ने वो साकार नहीं होने दिया