हुस्न और प्यार तिरे पास मैं ले आई हूँ ऐ मिरे यार तिरे पास मैं ले आई हूँ अपनी सीरत के जवाहर मैं लिए मुट्ठी में मेरे सरदार तिरे पास मैं ले आई हूँ दिल ये चाहे कि तिरी क़ैद में रख दूँ अपनी रूह-ए-बेज़ार तिरे पास मैं ले आई हूँ मेरे जज़्बात-ए-हसीं दिल में छुपा लो अपने फिर से इक बार तिरे पास मैं ले आई हूँ जब ये देखा कि मिरे बस में नहीं है 'विशमा' अपना किरदार तिरे पास मैं ले आई हूँ