हुस्न तकमील-ए-तमन्ना है सबा हो जाना शहर-दर-शहर हर इक दिल की रिदा हो जाना पास आ आ के हर इक लम्हा बिछड़ना तेरा जैसे ख़ुशबू का रग-ए-गुल से जुदा हो जाना इस तरह टूट के बरसे हैं गरजते बादल जैसे जागी हुई आँखों की सदा हो जाना ज़िंदगी तू ने कई रंग भरे हैं पैहम ज़ुल्फ़-ए-शब-रंग कभी रंग-ए-हिना हो जाना कितने बन-बास लिए फिर भी तिरे साथ रहे हम ने सोचा ही नहीं तुझ से जुदा हो जाना हुस्न-ए-तख़्लीक़ भी है रिफ़अत-ए-इंसाँ भी है अज़्मत-ए-दिल है हर इक दिल की दवा हो जाना सर-बुलंदी है यहाँ शहर में ज़िंदा रहना सरफ़राज़ी है यहाँ राह-नुमा हो जाना बुझ गए राह-ए-तमन्ना में हज़ारों जुगनू तुम मिरे वास्ते नक़्श-ए-कफ़-ए-पा हो जाना ये भी मुमकिन नहीं ऐ दोस्त तू सब की ख़ातिर चाँदनी बन के कहीं जल्वा-नुमा हो जाना खेतियाँ सूख गईं ख़ुश्क हुए दिल के नगर बावर आया हमें पानी का हवा हो जाना