इधर उधर से किताब देखूँ ख़याल सोचूँ कि ख़्वाब देखूँ तुम्हारी नज़रों से देखूँ दुनिया तुम्हारी आँखों से ख़्वाब देखूँ हुआ है तस्वीर इक तसव्वुर गुलाब सोचूँ गुलाब देखूँ बदन है मेरा हज़ार आँखें कभी उसे बे-नक़ाब देखूँ बिछाए रख्खूँ ख़मीर-ए-सहरा समुंदरों में सराब देखूँ हसीन लम्हे गुज़ार आऊँ उदास रातों के ख़्वाब देखूँ