इधर यार जब मेहरबानी करेगा तो अपना भी जी शादमानी करेगा दया दिल 'नज़ीर' उस को यूँ कह के ऐ जाँ कहोगे तो ये पासबानी करेगा पढ़ेगा ये अशआर बैठोगे जब तक जो लेटोगे अफ़्साना-ख़्वानी करेगा बिठाओगे दर पर तो होगा ये दरबाँ लड़ाओगे तो पहलवानी करेगा इताअत में ख़िदमत में फ़रमाँ-बरी में ग़रज़ हर तरह जाँ-फ़िशानी करेगा