कोई अन-होना वाक़िआ' नहीं है इश्क़ मेरे लिए नया नहीं है तुझ को हर बात का पता नहीं है तू मिरा इश्क़ है ख़ुदा नहीं है यूँ निशाने न ताक ताक के मार एक ही दिल है दूसरा नहीं है ये जो हम रोज़ लफ़्ज़ बुनते हैं मसअला है ये मश्ग़ला नहीं है तोड़ता है हुदूद-ए-कौन-ओ-मकाँ दर्द का कोई दायरा नहीं है दो किनारे हैं एक मैं इक तू और किनारों में फ़ासला नहीं है कोई इज़हार की सबील नहीं आग ही आग है हवा नहीं है ये जो तुम मौत से डराते हो ज़िंदगी सब का मसअला नहीं है