इक दूजे को देर से समझा देर से यारी की हम दोनों ने एक मोहब्बत बारी बारी की ख़ुद पर हँसने वालों में हम ख़ुद भी शामिल थे हम ने भी जी भर कर अपनी दिल-आज़ारी की इक आँसू ने धो डाली है दिल की सारी मैल एक दिए ने काट के रख दी गहरी तारीकी दिल ने ख़ुद इसरार क्या इक मुमकिना हिजरत पर हम ने इस मजबूरी में भी ख़ुद-मुख़तारी की चौदा बरस के हिज्र को इम-शब रुख़्सत करना है सारा दिन सो सो कर जागने की तय्यारी की हम भी इसी दुनिया के बासी थे सो हम ने भी दुनिया वालों से थोड़ी सी दुनिया-दारी की 'अंजुम' हम उश्शाक़ में ऊँचा दर्जा रखते हैं बे-शक इश्क़ ने ऐसी कोई सनद न जारी की