इक तिलिस्म-ए-अजब-नुमा हूँ मैं क्या बताऊँ तुम्हें कि क्या हूँ मैं है ज़वाल अपना इक निशान-ए-कमाल बदो की तरह घट गया हूँ मैं क्या निशाँ पूछते हो तुम मेरा रह-ए-गुम-गश्ता का पता हूँ मैं है ये हैरत कि हूँ तजस्सुम-ए-दर्द और हर दर्द की दवा हूँ मैं मेरी शोहरत है मेरी गुमनामी क़ुव्वत-ए-बाज़ू-ए-हुमा हूँ मैं रह-ए-उल्फ़त में नक़्श-ए-पा की तरह ख़ाक हो हो के मिट गया हूँ मैं साग़र-ए-इश्क़ कर गया बे-ख़ुद होश किस को नहीं हूँ या हूँ मैं ख़ाक समझो तुम आबरू मेरी दर्द-ए-ए'ज़ाज़ की बहा हूँ मैं दम ग़नीमत है सालिको मेरा जरस-ए-दौर की सदा हूँ मैं हूँ सुराही में बादा-ए-अहमर और मय-ए-सुर्ख़ में नशा हूँ मैं जिस तरह से कँवल हो पानी में हो के दुनिया में फिर जुदा हूँ मैं ख़ाकसारी है मेरी जौहर-ए-ज़ात ख़ाक में मिस्ल-ए-कीमिया हूँ मैं दुर दुरुज-ए-वफ़ा की आब हूँ मैं दिल के आईने की सफ़ा हूँ मैं आज है मेरी धाक आलम में रू-शनास-ए-शह-ओ-गदा हूँ मैं धूम है फ़न्न-ए-शेर में मेरी क़मर-ए-इल्म की ज़िया हूँ मैं लिखूँ गर दास्तान-ए-रंज-ओ-अलम दिल-ए-ब-शिकस्ता की सदा हूँ मैं गर करूँ ज़िक्र-ए-साज़-ए-ऐश-ओ-तरब तूती-ए-ख़ुल्द की नवा हूँ मैं गर मैं लिक्खूँ बयान-ए-अर्सा-ए-रज़्म नावक-ए-तरकश क़ज़ा हूँ मैं एक इस नज़्म पर है क्या मौक़ूफ़ नूर शम-ए-उलूम का हूँ मैं क़द्र है मेरी क़दर-ए-इल्म-ओ-हुनर क्या ज़माने में दूसरा हूँ मैं हूँ तो सब कुछ पे कुछ नहीं 'कैफ़ी' सूरत-ए-मौजा-ए-फ़ना हूँ मैं