इक उम्र से हम तुम आश्ना हैं हम से मह ओ अंजुम आश्ना हैं दिल डूबता जा रहा है पैहम लब हैं कि तबस्सुम आश्ना हैं उन मंज़िलों का सुराग़ कम है जिन मंज़िलों में गुम आश्ना हैं कुछ चारा-ए-दर्द-ए-आश्नाई किस सोच में गुम-सुम आश्ना हैं इस दौर में तिश्ना-काम साक़ी हम जैसे कई ख़ुम-आश्ना हैं