इख़्तियार आप को है चाहे तो हर-सू रखिए वैसे चेहरे से हटाए हुए गेसू रखिए दर्द में डूबा हुआ दिल ये बहर-सू रखिए मिस्ल-ए-सीमाब मचलता हुआ पहलू रखिए अहद-ए-माज़ी की तमन्नाएँ लिए अब दिल में अपने अस्लाफ़ के औसाफ़ की ख़ू बू रखिए लोग तक्फ़ीन की तय्यारी किए बैठे हैं आप सीने से लगाए हुए उर्दू रखिए शान-ए-ख़ुद्दारी पे आँच आ न सके ऐ 'हमदम' अपनी पलकों पे समेटे हुए आँसू रखिए