इलाही दिल को मेरे कुछ ख़ुशी होती तो अच्छा था लबों पर आह के बदले हँसी होती तो अच्छा था सियाह दिल हैं अँधेरों में तुझे हम याद करते हैं ख़ुदाया उन घरों में रौशनी होती तो अच्छा था वो आए हैं ज़रा उन से हम अपना हाल कह लेते हमारे दर्द-ए-दिल में कुछ कमी होती तो अच्छा था