वर्ना बे-मा'नी-ओ-बे-कार गिने जाएँगे शुक्र हम तेरे तरफ़-दार गिने जाएँगे हम पे वो धूप अभी ठीक से निकली ही नहीं हम जहाँ साया-ए-दीवार गिने जाएँगे रोज़ कुछ ख़्वाब बनाता है उन्हें तोड़ता हूँ इन में से ठीक तो दो-चार गिने जाएँगे इस क़दर आप ने रक्खा है हँसी को अर्ज़ां कल कलाँ आप भी बाज़ार गिने जाएँगे आप भी ख़ुश नज़र आते हैं कि कुछ ग़म ही न हो आप भी मुझ से अदाकार गिने जाएँगे आप के गिनने के अंदाज़ से लगता है कि जल्द जो हैं इस पार वो उस पार गिने जाएँगे वो भी दिन आएगा दो हाथ छुएँगे हम को और हम भी गुल-ओ-गुलज़ार गिने जाएँगे आप भी खोलते फिरते हैं पुरानी गिर्हें एक दिन आप भी ग़द्दार गिने जाएँगे