इन बला की आँधियों में इक शजर बाक़ी रहे फ़ाख़्ताओं के लिए कोई तो घर बाक़ी रहे एक तारा एक दीपक एक जुगनू ही सही रात की दीवार में कोई तो दर बाक़ी रहे चाँद की कश्ती तह-ए-दरिया हुई थी जिस जगह कुछ निशाँ बाक़ी रहे कोई भँवर बाक़ी रहे जाने वाले को कभी भी लौट कर आना नहीं लौट आने की बहर-सूरत ख़बर बाक़ी रहे सर्द मौसम में उठा कर हाथ ये माँगें दुआ तन में जाँ बाक़ी रहे जाँ में शरर बाक़ी रहे राह में थक कर कहीं पर बैठ मत जाना 'शफ़ीक़' घर की जानिब वापसी का इक सफ़र बाक़ी रहे